Sohal (Shoo) - A Lyrical Poem By Jaswinder Chouhan

Sohal (Shoo) – A Lyrical Poem By Jaswinder Chouhan

श्री जसविंदर जी ( रिनु ) द्वारा रचित यह कविता “”शो”” सोहल पाडर पे लिखी गई है| इस कविता मे उन्होंने अपने गाँव के प्रति प्रेम कि जो भावना है उसको एक कविता कि शकल दे पाडरी भाषा मे उतारा है| यह कविता बहुत ही उम्दा, बेहतरीन ओर दिल को छूने वाली है जो दिल के तह से सोहल गाँव कि तारीफ़ बयां कर रही है| आशा है आपको भी पसंद आएगी |

“” शो “”

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ

अई हया दीया त अस असा लो

अगर बी फाटा त पैतर बी फाटा

ज़ल हेरे तल हना नीला-नीला घास त ट़ाटा

दहि तुनदराण त बाई घघो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ

अई हया दीया त अस असा लो

 

वटा गरां हना बैंठी जमीना

हुनशी बड़ल हेरें त्वस असर सीना

कोडा, कुकणया, दाड़ त धाना

ज़ाया न भवना यक बी रो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ,

अई हया दीया त अस असा लो

 

सामण चनाब हना कछ़ि ज़ शंडीरा

अई हया रांझा त अस असा हीरा

पार पासे दवद्धा नइ चयटा

त साफ हना धमरड़ छ़ो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ,

अई हया दीया त अस असा लो

 

शोआ मोहण हनें बड़े महाना

करने मेहनत न हेरने अपा जाना

ठुंड, जीरा, भंग त ज़ोणी की थरो

अणहे मणहो हनै अपा घर भरो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ

अई हया दीया त अस असा लो

 

पाडर अना छेड़ी हिनी शोवर जगा

कयसकी रणू पी बिशोनी माता कालका

औत गौत हनें ग्रां गुलाब गढ,

कबन,उनगा, तयार त चट्टो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ,

अई हया दीया त अस असा लो

 

रिनू थे भलयो बड़ा अनजाना

बयसरी गो थे कुणल मयो पहचाना

कणि बसने यो त कणि बसने वो

मय त टंगाइ न भवना अपड़ शो

 

शो हयाणा शो बड़ा छेड़ा ओ,

अई हया दीया त अस असा लो||

 

(कवि – रिनु )

 

आशा करते हैँ आपको यह कविता पसंद आई होगी | यदि हाँ तो शेयर कीजिये अपने दोस्तों के साथ ओर यदि आप भी कोई कविता लिखना चाहते हैँ या हमें भेजना चाहते हैँ तो हमारी ईमेल पर ज़रूर भेजें|

धन्यवाद

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