A Poem on the Development of Paddar

A Poem on the Development of Paddar

नमस्कार,  नमस्ते, जुले | दोस्तों आज एक और कविता आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ ।आशा है पाडर के युवा इस कविता को पढ़कर जोश का अनुभव करेंगे
और पाडर की एकता और उन्नति में अपना संभव योगदान देंगे ।

।। पाडर की तस्वीर ।।

 

ये शब्द जो हमने सीखे हैं
माफ करना थोड़े तीखे हैं
हुए हमारे साथ उन्नति के जो वादे
वो ज़रा पड़ गए फीके हैं ।

पाडर के जो हालात हमने देखे
क्या तुमने भी देखे हैं ??

होती हैं जहाँ देश भक्ति की बातें हर पल
वहीं दूसरी तरफ गरीब रोते पल पल
देशभक्ति के नाम यहाँ पर
राजनीति की रोटियां सेकीं हैं।

पाडर की जो तस्वीरें हमने देखी
क्या तुमने भी देखी हैं ??

की हमने तरक्की की बातें
इसी आस में गुज़ारी कई रातें
अपने हक़ की लड़ाई में
हमनें खाई प्रशासन से लातें।

अपनो से हुआ जो अन्याय हमने देखा
क्या तुमने भी देखा है??

समाज सुधार की करते यहाँ
हम बहुत बड़ी बड़ी बातें हैं
लेकिन समाजिक बुराईयों
से हर पल मुंह की खातें हैं ।

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निर्बल की पीड़ाऔं का दृश्य जो हमने देखा
क्या तुमने भी देखा है???

करते है जहाँ माँग हम
हस्पताल स्कूल कालेजों की
वहीँ दूसरी तरफ रहती कमी हमेशा ही स्टाफ और ज़रूरी चीज़ों की
शिकायतें तो कई होती पर सुनवाई नहीं होती देखी है

बे बसी का आलम जो हमने देखा है
क्या तुमने भी देखा है ???

अपने बच्चों को पढ़ाने का सबको चाव है
पढ़ा लिखाकर अफसर बनाने का ताव है
स्कूल भेजकर साल भर फिर उनकी खबर न लेना
परीक्षा की घड़ी में बाहर से छुप छुप कर नकल देना

ये हाल जो शिक्षा का हमने देखा
क्या तुमने भी देखा है ??

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अगर अपने प्यारे पाडर के लिये
कुछ अच्छा करना चाहते हो
पाडर को आगे लाना चाहते हो
तो पाडर मचैल डॉट कॉम पर आओ ।
आकर अपना ज्ञान बढ़ाओ
पाडर को जागरुक कर
अपनी अहम भूमिका निभाओ ।
पाडर की जिस निर्मल और बुलंद

आवाज़ को यहाँ हमने देखा है
क्या तुमने भी देखा है ??

 

धन्यवाद!!! जय हिंद! जय भारत! जय पाडर !

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