दोस्तो बचपन से ही मुझे कविताएं कहानियां गीत संगीत पढ़ने और सुनने का शौक रहा है, इस कारण बचपन से ही टूटी-फूटी कविताएं और गीत लिखने का भी प्रयास करता रहा हूं । पाडरी काव्य में मैंने कई प्रकार के प्रयोग करने की भी कोशिश की है इसी क्रम में मैंने फरवरी 1990में एक युगल गीत भी लिखा था जो आप की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूं यह गीत तत्कालीन पाडर के परिवेश को परिलक्षित करता है आशा है आप इस गीत का आनन्द उसी संदर्भ में लेंगे ।
(गीत)
लड़की :- क्यस तू नड़होलि बज़ाना धौन्ना?
क्यस मैंइ तू रुलाना ओ?
लड़का:- अंऊ तै नड़होलि बज़ाना छौन्ना,
दि्य्ल अंऊ त्येंण बहलाना ओ।
लड़की:- त्योंण तै बगेर मैंइ ओ धौन्ना,
जान अपंणी गंवाणी ओ,
लड़का:- छन्ने तौउ शौउ्त म्येंण छौन्ना,
झट बंण तू महरियांणी ओ।
लड़की:- बग घिनी बत्ति थंणर बुव्टा
च़ेता मैंइ त्येंण दिवाना ओ,
लड़का:- बंण घि्यना ध्यान त्येंण छौन्ना,
कज्जू अंऊ रोज़ हराना ओ।
लड़की:- वार बग अंऊ तू पार धौन्ना,
बि्यच़ हंडना गडोड़ा ओ।
लड़का:- छ़ड़ साफर लड़ ओ छौन्ना,
औंल भन्नी की गडोड़ा ओ।
लड़की:- घैड़ी घैड़ी हत धोनी कैनी ,
त्येंण अंगुठी निशाणी ओ,
लड़का:- अंगुठी तै किय चीज छौन्ना,
तऊ ज़ै मुरकी घड़ांणी ओ।
लड़की:- तू तै हन्ना मैंइ ट्ल्यारा धौन्ना,
ज़ौह्र च़िय्लकन तारा ओ,
लड़का:- तू तै हिन्नी म्येंण च़नंड़ी छौन्ना
अंऊ त्येंण ट्लागड़्यारा ओ।
(मधुर पाडरी)