A Poem by Durgesh Kumar Thakur on his motherland, Paddar
"I AND MY NATURE"
O Nature! You Never ever betray us!
You never ever betray those who are connected with roots.
I have seen tall trees towering so high,
urging us to say "Hai".
I heard the reverberations of...
A poem by Sonu Bhardwaj on the eve of World Water Day
नमस्कार दोस्तों आप सभी को विश्व जल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (22/3/2022)प्यारे दोस्तों आप सभी जानते हैं आजकल शहरों में आए दिनों जल त्रासदी का सामना करते हुए लोगों को देखा जाता है आओ...
अब बकरे नहीं आएंगे (A nostalgic poem on Canchaiti Festival)
अब बकरे नहीं आएंगे
वर्षों पूर्व तक छोटे छोटे बकरे
मेरे घर ननिहाल के यहाँ से
पहुंचा करते थे हर साल
जनवरी के महीने मे
जब बाहर बर्फ अपनी सफेदी से
पाडर क़ी धरती सजा दिया करती थी |
यूँ तो,...
A Poem in Paddri dialect (प्यार कोहर भोना) by Vipan Kumar
"प्यार कोहर भोना"
धक मेंजे भी बवल अय प्यार कोहर भोना
जबल सय न काऊनी क्योस लगना शोना शोना।
मेंय खुणरोना प्यार बेचे यक तहरे लखे घ्योना ख्याल
दीन दुन्य बेचे भों कि लगोना किछी न भोना हाल...
A Poem on Kargil Vijay Diwas by Sonu Kumar
हर साल 26 जुलाई का दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैनिकों को खदेड़कर कारगिल की चोटियों पर फिर से कब्जा कर लिया...
Poem on Chenab River by Sonu Kumar Bhardwaj
नमस्कार दोस्तों !आज मैं आपके सन्मुख एक कविता पेश करने जा रहा हूं, जिसे दरिया-ए-चिनाब पर बनाया गया हैl दरिया चिनाब का सफर लाहौल स्पीति(हिमाचल), पाडर से होते हुए कश्मीर(जे०के)के रास्ते सीधे पाकिस्तान को...