This Gazal is written by Sh.Yog Raj Ji popularly known by the name Madhur Paddri in Paddar. In this amazing Gazal poet has beautifully expressed his emotions and I hope it will strike a chord within you. This gazal was recited in a Mushaira organized by Cultural Academy at HSS Paddar in June 1997. I hope you will like it…..
ग़ज़ल
क्या क्या नहीं हम पर लगे इल्ज़ाम तेरे शहर में,
और हम भटकते ही रहे नाकाम, तेरे शहर में।
जो भी आया है यहां, वो उम्र भर रोता रहा,
किस को मिला है आजतक आराम तेरे शहर में।
कब यह सोचा था कभी भटकें दयार-ए गैर में,
लाई हमें क्यों गर्दिशे अय्याम तेरे शहर में।
चंद ही किस्से हुए मशहूर जो ज़ाहिर हुए ,
जाने कितने मिट गए गुमनाम, तेरे शहर में।
जिस पे न तोहमत लगा पाया था कोई उम्र भर,
नाम वो आखिर हुआ बदनाम, तेरे शहर में ।
जाने हमको ये मिली है किन गुनाहों की सज़ा,
जो गुज़रते हैं ये सुबह-शाम, तेरे शहर में ।
जिस के पीने से मिट जाते हैं ग़म हस्ती के सब,
अब “मधुर” पीने को है वो जाम , तेरे शहर में।
(मधुर पाडरी)