नमस्कार मित्रों! वीर सावरकर की जयंती पर शत शत नमन ।साथिया वीर सावरकर का नाम सुनते ही हर हिन्दू का दिल देश भक्ति की भावना से भर जाता है ।भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उन्होँने असाधारण भूमिका निभाई थी। आज उनकी जयंती है इसी उपलक्ष्य में उनके जीवन पर चंद पँक्तियाँ की रचना की है ।आशा है इस कविता को पढ़ने में आपको जोश और आनन्द का अनुभव होगा ।
।। वीर सावरकर ।।
माँ भारती के सपूत थे
वह बहुत ही अल्बेले
देश व हिंदुत्व की रक्षा करने
वह निकले थे कभी अकेले ।
स्वतंत्र भारत बनाने के लिये
कष्ट था उन्होंने बहुत झेला
देश भक्ति के सूत्र देकर
सार्थक किया हर पल हर बेला ।
अखंड भारत का सपना था
उनका बहुत महान
उनकी कुर्बानी को याद करे
आज पूरा हिंदुस्तान ।
अपनी बेबाक आवाज़ से
उन्होँने ने हिन्दू को जगाया था
अपने अथक प्रयासों से
देश भक्ति का दीप जलाया था ।
दी हिन्दुत्व की परिभाषा ऐसी
हो भारत की आत्मा जैसी
नहीं मिली पढ़ने को फिर
इतिहास के पन्नों में वैसी ।
भारत की इस धरती को जो
कहे अपनी पितृभूमी व मातृभूमि
वही हिन्दू कहलाये
जिसने इसकी मिट्टी चूमी ।
फिर हो वो सिख जैन या बौद्ध
या हो मुस्लिम और इसाई
देश द्रोह जो ना करे
वही है हिन्दू भाई ।
अपनी निस्वार्थ सेवा का
उन्होंने ऐसा उदाहरण दिया
यात्नायें अनेक सह कर भी
काम बहुत असाधारण किया ।
देश की आज़ादी में उन्होंने
अहम भूमिका निभाई थी
देश प्रेम का ऐसा जनून था
अंग्रेजों को नानी याद दिलायी थी।
स्वाभिमान की भावना
उनमें कूट कूट कर भरी थी
उनके ज़ज्बे से प्रेरित होकर
आज़ादी की जंग हज़ारों ने लड़ी थी।
उनके विचारों ने
एक नया इंकलाब लाया
तभी तो भारत का वह
वीर सावरकर कहलाया ।
हमारा शत शत नमन है
तुमको हे वीर सावरकर
धन्य हुई भारत माता
तुम जैसे वीर पाकर ।
तुम्हारे बलिदान को
इस देश ने पहचाना
इसी बात पर भावुक होकर
कविता लिखे लिखे सुरिंदर राणा ।
धन्यवाद!!! जय हिंद!!जय भारत !! जय सावरकर ! !