Uncategorizedदुनिया फिर मुस्कराएगी

दुनिया फिर मुस्कराएगी

जब भी किसी इंसान समुदाय या समस्त सृष्टि पर कष्ट आता है तो इंसान हर प्रयत्न करता है उस दुविधा से निकलने के लिए परंतु जब हर प्रयास में विफल हो जाता है और अंत में फिर उसी परम पिता परमेश्वर के आगे शीश झुकाता है जिसने इस समस्त ब्रह्मांड का निर्माण किया और इस समस्त सृष्टि को अपने रंगों में रंगा है, जिसमें भिन्न-भिन्न की वनस्पति ,प्राणी ,जलवायु , वातावरण, वन्यजीव, आदि का निर्माण किया, आखरी उम्मीद लेकर मनुष्य उसी परम पिता के पास जाता है इस कविता में यही सब कुछ समझाने का प्रयास किया गया है, की वही परमपिता परमेश्वर जब चाहे सब ठीक कर सकता है, अतः मेरी आप सभी से गुजारिश है कि आप ईश्वर पर विश्वास बनाए रखें और उम्मीद करता हूं यह दुनिया फिर वैसे ही चलेगी जैसे कभी चला करती थी।
मेरी तमाम पाडर के आवाम से गुजारिश है कि अपने घरों में रहे सामाजिक दूरी का पालन करें , जय हिंद जय भारत जय पाडर।

“दुनिया फिर मुस्कराएगी”

 

अब बहुत हुआ यह खेल तेरा,
बंद भी करदे यह खेल तेरा।
हर शहर गली खुल जाएगी ,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

मुझे सब है पता मालिक मेरे
तुम और अन्याय न होने देंगे
यह दुनिया तेरी ही बगिया है
हर क्यारी खिल खिलआएगी।

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

बंदे तेरे मायूस है सब
रहमत अपनी बरसाओगे कब
रक्षा हेतु आओगे जब
हरमुख पे हंसी लौट आएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

तुम नैन मूंद कर बैठे कहां
बच्चे तेरे तड़पे यहां वहां
ध्याएंगे तुम्हें मरते दम तक
तस्वीर यह दिल में समा आएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

यह दुनिया फिर वैसे ही चले
भाई बन्धु वैसे ही मिले
तेरा नाम भी लूं दरपे आकर
मुझे मन से खुशी मिल जाएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

हे रात अगर दिन भी होगा
चंदा है सूरज भी होगा
तारों भरा अंबर होगा
रातें फिर झिलमिलाएंगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

सब तेरा समर्पित है तुझको
आपति नहीं कोई मुझको
है जन्म मरण निर्भर तुझपर
दुनिया तुझ में ही समाएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

कैसा है निजाम तेरा भगवान
चिंता से भलि है चिता भगवान
क्या रूपरेखा है दुनिया की
क्या महाप्रलय आ जाएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

अब देर न कर आ् भी जाओ
ईश्वर अल्लाह आ भी जाओ
दुनिया पे रहम की नजर ढाओ
तेरे सन्मुख शीश झुकाएगी

हर शहर गली खुल जाएगी,
दुनिया फिर मुस्कराएगी।।

हमारा मतलब यह नहीं है कि हमारे डॉक्टर्स कुछ प्रयास नहीं कर रही हमारे पुलिसकर्मी या हमारे वैज्ञानिक कुछ नहीं कर रहे हैं हम बस इस कविता के माध्यम से ईश्वर से अनुरोध कर रहे हैं कि इस दुविधा से हमें निकालो इस हेतु यह कविता बनाई है| आशा है आपको पसंद आएगी | धन्यवाद |

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