उज़ाण
क्या आपने पाडर की उज़ाण नामक परंपरा के बारे मे सुना है?
ये एक प्रकार की परंपरा है पाडर की| इस दौरान पाडर तत्ता पानी नामक गाँव मे चीटो गाँव से 9 लोगों द्वारा गरम पानी का त्यथ साफ क्या जाता है, इस प्रक्रिया को उज़ाण कहते हैँ |
ये प्रक्रिया जनवरी के अंतिम दिनों मे पूरी होती है| इसी दौरान चेलों द्वारा शेंष नाग की तरफ से मौसम के बारे मे भविष्यवाणी भी होती है|
ये भविष्यवाणी पाडर मे आगे के कामों पे अपने प्रभाव डालती है| लोग इसी के अनुसार अपने आगे के काम की रूप रेखा तैयार करते हैँ |
उदहारण के तौर पे इस बार देखिये कहा जाता है की भविष्यवाणी हुई थी की फेब्रुअरी एन्ड तक मौसम साफ (खुश्क) रहेगा और ये चमत्कार है या और कुछ ऐसा हुआ भी और लोग तैयार भी थे इस परिस्थिति से झूजने को|
सच्चाई क्या है ये तो ईश्वर जाने परन्तु पाडर मे शेष नाग को यदि मौसम का देवता कहा जाए तो गलत नहीं होगा|
उज़ाण के बारे मे एक बहुत ही दिलचस्ब किस्सा सुनने को मिलता है| लगभग 70 साल पहले की बात है किश्तवाड़ मे जब आकाल (सूखा) पड़ा था तो इसका दोष किश्तवाड़ के लोगों ने पाडर के ऊपर थोपा था|
यहाँ तक की किश्तवाड़ के वकील पारस राम जी ने पाडर के लोगों के खिलाफ इसी बात पर कोर्ट मे केस दर्ज कर दिया था यह सोच कर की ये उनकी किसी गतिविधि का फल है की पाडर मे शेष नाग नाराज़ हो गए हैँ और महीनों से बारिश बंद है|
हालांकि ये केस बाद मे रद्द कर दिया गया|
पाडर नागों की भूमि है और यहाँ हर नाग अपनी शक्ति के नाम से हर गाँव मे विराजमान है| उज़ाण की परंपरा पाडर मे हर तीसरे साल मनाया जाती है|
कहा जाता है एक बार 1983 मे किसी कारण वश गरम पानी का त्यथ साफ नहीं हो पाया और ये प्रक्रिया 1986 तक टल गई| 1986 मे जब चेले गरम पानी का त्यथ साफ करने पहुंचे तो तीन मुँह वाले एक विशाल सर्प (नाग) ने बीच मे आके उन्हें रोक दिया| फिर जब चेलों ने माफ़ी मांगी तो वो नाग चला गया|
तब से ये प्रक्रिया तीसरे साल हर हाल मे पूर्ण की जाती है| और पाडर के लोग इसे बड़ी श्रद्धा से आयोजन भी करते हैँ| शेष नाग का पाडर मे बहुत ही महत्व का और ऊंचा स्थान रहा है | आज भी जब कभी पाडर मे मौसम (वर्षा) से जुड़ी कोई समस्या सामने आती है तो पाडर के लोग शेष नाग की पूजा करते हैँ और समस्या के समाधान की आशा करते हैँ |
धन्यवाद