नमस्कार मित्रों ! आज एक और कविता देश की एकता और अखंडता को समर्पित करने जा रहा हूँ आशा है सबमें एक नयी उर्जा का संचार करेगी ।
कब बनेगा एक जुट भारत ?
एक तो मूल वस्तुओं का अभाव है
ऊपर से साम्प्रदायिकता का प्रभाव है
क्यों भगवान भारत में है इतनी अशांति
हर इन्सान का हरा रहता यहां घाव है !!
आर पार की लड़ाई क्यों ना होती है
पढ़ी लिखी जनता क्यों मौन रहती है
नफरत फैलाने वालों पर क्यों
कारवाई सरकार की नहीं होती है ?
क्यों कभी प्रतिबंध ना लगता
आपतिजनक भाषण पर
क्यों किसी की जान की ज़िम्मेवारी
रहती नहीं यहां कभी प्रशाशन पर??
कितनी कट्टरता है लोगों की सोच में
देखता हूँ हर पल हर घड़ी हर रोज़ मैं
धार्मिक उन्माद में सब बह रहे हैं
हम ही श्रेष्ठ हैं ये कह रहे हैं !!
अपने धर्म का प्रचार करो
तुम्हें किसने रोका है
नमाज़ पढ़ो भजन करो
तम्हें किसने टोका है !
पर नहीं! राजनीति की
दलदल में सबको फसना है
मिले जब मौका तो तंज
एक से बढ़ कर एक कसना है ।
धर्म के नाम पर एक जुट
होने का आवाहन सब करते हैं
देश के नाम एक जुट होने की
हामी क्यों नहीं भरते हैं ??
किसी मासूम की जिन्दगी
क्या तुम्हारे धर्म से छोटी है
देश में अशांति फैलाकर बताओ
कौन सी तरक्की होती है ??
देश बचेगा धर्म बचेगा
ये ख्याल तुम्हें क्यों नहीं आता है
क्यों तुम उतेजित होते हो हर समय
कौन तुम्हें बहकाता है?
सरकार अभी जिनकी है
उनको देश चलाने दो
जब चुनाव आयेंगे सामने
तुम अपने नेता सदन में जाने दो !!
क्यों हाहाकार मचाया है
किसने तुम्हें डराया है
अगर तुम्हें अपने मालिक पर विश्वास है
तो ये उत्पात क्यों मचाया है ??
दूसरों को देते ज्ञान पर खुद ध्यान ना लगाते हो
कैसी ये बेबसी है कैसा ये आलम है
अपने पैरों पर कुलहाड़ी मारकर
कहते हो ये सरकार बड़ी ज़ालम है !!
धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित
के नारे कब लगाओगे
एक जुट भारत बनाने में
अपनी भूमिका कब निभाओगे ?
कब बनेगा एक जुट भारत
ये सच्चे नागरिकों की पुकार है
सम्प्रदायिकता की आग में जलना
नहीं अब किसी को स्वीकार है !!
संविधान को मानना होगा
हम सबको गीता और कुरान
यही सभी से न्याय करेगा
हिन्दू हो या मुसलमान!!
~ सुरिंदर राणा
धन्यवाद!! जय हिंद!! जय भारत !!