नमस्कार मित्रों!आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।मित्रों आज एक और कविता आपके नज़र कर रहा हूँ ।यह कविता उन सब शिक्षकों को समर्पित है जिन्होने देश के भविष्य को उज्जवल बनाने में अपनी अतुल्य भूमिका निभाई थी निभाई है और निभा रहे हैं ।
। शिक्षक की भूमिका ।
स्वयं जलकर औरों को
प्रकाश दिखाता है
यूं ही नहीं शिक्षक कोई
राष्ट्र निर्माता कहलाता है ।
शिक्षक का जीवन हमेशा
समर्पण का उदाहरण होता है
करता है वो मेहनत इतनी
जिससे छात्रों का तारण होता है।
गुरु और शिष्य का संबंध
बहुत ही निराला होता है
गुरु की सख्ती को सहन करे जो
वो शिष्य किस्मत वाला होता है ।
कहते हैं शिक्षक की मार
माँ बाप के प्यार से अच्छी होती है
क्यूंकि उस मार के पीछे
उसकी नीयत सच्ची होती है ।
शिक्षक अपने विधार्थियों में
वो सब गुण लाना चाहता है
जो उसके जीवन को सफल बनाए
उन बातों को बताना चाहता है ।
इतिहास गवाह है जितने भी
महापुरुष हुए हैं इस दुनिया में
बनाया है उन्हें निसन्देह
उन्हीं के महान गुरुओं ने ।
अर्जुन को बनाया धुरंधर
द्रोणाचार्य की शिक्षा ने
करण को बनाया योध्दा
परशुराम की दीक्षा ने ।
सन्त रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में
स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान का प्रकाश पाया
सनातन संस्कृति की झलक को जिन्होंने
पूरे विश्व को अपने दम पे दिखाया ।
चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को
राजनीति का पाठ पढ़ाया
नंदवंश को जड़ से उखाड़ कर
भारत का चक्रवर्ती सम्राट बनाया ।
बहुत उदाहरण हैं गुरु शिष्य के
इस जग में ऐसे कई और
जिन्होंने लाया जगत में
जीवन जीने का नया दौर !
गुरुओं का सत्कार करना
हमारा परम धर्म है
जो कुछ भी हैं हम आज
ये उनका हमपर हुआ कर्म है ।
हम अपने गुरुओं को
दिल से याद करते हैं
उनके उपकार के लिए हम
उनका धन्यवाद करते हैं।
~सुरिंदर राणा! धन्यवाद!
जय हिन्द !जय भारत!