Poem on Chenab River by Sonu Kumar Bhardwaj

Poem on Chenab River by Sonu Kumar Bhardwaj

नमस्कार दोस्तों !आज मैं आपके सन्मुख एक कविता पेश करने जा रहा हूं, जिसे दरिया-ए-चिनाब पर बनाया गया हैl दरिया चिनाब का सफर लाहौल स्पीति(हिमाचल), पाडर से होते हुए कश्मीर(जे०के)के रास्ते सीधे पाकिस्तान को जाता हैl लेकिन रास्ते में ना जाने कितने शहर, कस्बे व गांव आते हैं, जिनकी वजह से दिन-ब-दिन यह प्यारी नदी प्रदूषित हो रही है ,और मानो यह लहरें चीख़-चीख़ कर लोगों को पुकार रही है, कि हमें बचाओ,हमारी रक्षा करोl दोस्तों यदि आपको मेरी एक छोटी सी कोशिश अच्छी लगती है,तो कृपया इस कविता को ज्यादा से ज्यादा अपने मित्रों में शेयर करें पसंद करें और इसी कविता से संबंधित अपनी टिप्पणी भी जरूर दें और यदि आपको लगता है, किसी और विषय पर हमें कविता बनानी चाहिए ,तो कृपया आप सुझाव जरूर हमें बता दें हम हर संभव प्रयास करेंगे और उम्मीद करता हूँ lआप सभी अपना प्यार आशीर्वाद और सनेह मुझ पर बनाए रखेंगेl धन्यवादl

“यह लहरें कुछ तो कहती है”

कल-कल बहती धारा इसकी,
प्यारी सी सरगम है इसकी l
चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती है ll

यह चिनाब है,लाजवाब है,
कहे पानी इसे,कहीं अब हैl
सूखे भूतल पर जब यह चले,
जीवन हरित कर देती हैll

चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

चंद्रभागा, दरिया-ए-चिनाब,
लोगों ने इसको नाम दिएl
यह हिम की बेटी जलधारा,
प्यासों की प्यास बुझाती हैll

Poet-Sonu Kumar Bhardwaj

चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

मुझ को प्रदूषित मत करना,
पछताओगे तुम सब वरनाl
मुझे संरक्षित,कर लेना अब,
मानो सौगंध यह देती हैll

चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

मेरा तो सभी ने हनन किया,
कचरा मुझ में ही दफन कियाl
मानव संबंधी, कष्ट रोग,
प्रतिउत्तर में,दे देती हैll

चंचल में मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

पौधे,पक्षी,सब वन्य जीव,
मेरा ही शुक्र मनाते हैंl
इंसान संबंधी कार्यों से,
यह सिसक-सिसक कर रोती हैll

चंचल में मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

आओ मिलकर एक पहल करें,
दरिया-ए-चिनाब को स्वच्छ करेंl
बच्चे,बूढ़े,सभी युवा वर्ग के,
जीवनमें, यही सुख देती हैll

चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

बिन मेरे यह जीवन कैसे चले,
धरातल पर प्राणी कैसे पलेl
प्रत्यक्ष हो,या अप्रत्यक्ष में,
हो पाती नहीं कहीं खेती हैll

चंचल मिजाज में बहती है,
यह लहरें कुछ तो कहती हैl

लेखक:-सोनू भारद्वाज

- Advertisement -spot_img

More From UrbanEdge

Canchaiti Festival: Ritual and celebration!

Paddar is celebrating Canchaiti festival from today. This celebration...

Paddar Tourism: Best Things to watch in Paddar

Paddar is a small subdivision of Kishtwar District and...

“ LOSAR “ THE NEW YEAR CELEBRATION (A Poem by Tenzen Sambel)

“ LOSAR “ THE NEW YEAR CELEBRATION It’s the New...

Paddri Anthem: A Poem by Ash

I composed this poem 4 years ago, in 2018...

Brief History of Paddar: By Ashish Chouhan

History of Paddar: Introduction Paddar, which today is popularly known...

A poem on Gandhari fire by Tenzen Sambel Sir!

  "October 27, 2022" Tenzen Sambel Such a tragic day of 2022...

Paddri Dialect: Present & Future

"पाडरी बोली का वर्तमान" किसी भी स्थान कि संस्कृती एक...

J&K GOVERNMENT LAUNCHES HUMAN RESOURCE MANAGEMENT SYSTEM-JKHRMS

J&K Government launches Human Resource Management System-JKHRMS- An integrated...

A poem on the beauty of Paddar!

पाडर एक सागर है, इसकी तारीफ कुछ पंक्तियों के...
- Advertisement -spot_img